Tuesday, October 29, 2013

पेड का एक पत्ता होके घमंड मेँ चुर खुद को खुबसुरत बताए,घमंड मेँ ऐसा चुर कि पेड व जङ को तुच बताएँ,एक दिन हवा के झोँके मेँ वो झङ के कही दुर उङ जाए व अपनी हस्ती को गवाएँ,घमंड उसका उसके साथ ही मिट्टी मेँ मिल जाए।।

पेड का एक पत्ता होके घमंड मेँ चुर खुद को खुबसुरत बताए,घमंड मेँ ऐसा चुर कि पेड व जङ को तुच बताएँ,एक दिन हवा के झोँके मेँ वो झङ के कही दुर उङ जाए व अपनी हस्ती को गवाएँ,घमंड उसका उसके साथ ही मिट्टी मेँ मिल जाए।।

उलझी हुई जिँदगी कि डोर है,इस डोर को सुलझाने दो, मुझे अब नया ख्वाब सजाने दो।।सजाने दो।। सजाने दो।।उलझी सुलझी कैसी ये जिँदगी कि कहानी,डलती जाए इस कि जवानी अब तो मुझे खुल के जीने दो।अब नया ख्वाब सजाने दो।।

उलझी हुई जिँदगी कि डोर है,इस डोर को सुलझाने दो, मुझे अब नया ख्वाब सजाने दो।।सजाने दो।। सजाने दो।।उलझी सुलझी कैसी ये जिँदगी कि कहानी,डलती जाए इस कि जवानी अब तो मुझे खुल के जीने दो।अब नया ख्वाब सजाने दो।।