sunil adhikari
Tuesday, October 29, 2013
पेड का एक पत्ता होके घमंड मेँ चुर खुद को खुबसुरत बताए,घमंड मेँ ऐसा चुर कि पेड व जङ को तुच बताएँ,एक दिन हवा के झोँके मेँ वो झङ के कही दुर उङ जाए व अपनी हस्ती को गवाएँ,घमंड उसका उसके साथ ही मिट्टी मेँ मिल जाए।।
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